अमेरिका की H-1B वीज़ा पॉलिसी पर एक बड़ा बदलाव आया है जिसने लाखों भारतीय प्रोफेशनल्स की धड़कनें बढ़ा दी हैं। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 21 सितंबर 2025 से नया नियम लागू कर दिया है, जिसके तहत हर नए H-1B वीज़ा आवेदन पर $100,000 (लगभग ₹83 लाख) की अतिरिक्त फीस देनी होगी। यह रकम सुनकर ही साफ हो जाता है कि अब अमेरिका का सपना पहले से कहीं ज्यादा महंगा हो गया है।
ट्रंप H-1B वीज़ा खबर 2025: नई पॉलिसी के प्रभाव
इस नए नियम के तहत, ट्रंप H-1B वीज़ा खबर 2025 के कारण भारतीय पेशेवरों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
सबसे बड़ी बात यह है कि यह नियम सिर्फ नए आवेदनकर्ताओं पर लागू होगा। जो लोग पहले से H-1B वीज़ा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं या जिनका वीज़ा रिन्यू हो रहा है, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। उनके लिए हालात फिलहाल वैसे ही रहेंगे। लेकिन जिन युवाओं ने अपने करियर और परिवार का भविष्य अमेरिका में देखने का सपना सजाया है, उनके सामने अब एक भारी आर्थिक दीवार खड़ी हो गई है।
भारत जैसे देशों के लिए यह फैसला और भी ज्यादा अहम है क्योंकि हर साल हजारों IT और इंजीनियरिंग प्रोफेशनल्स H-1B वीज़ा के जरिए अमेरिका जाते हैं। Infosys, TCS, Wipro और HCL जैसी बड़ी कंपनियां इसी वीज़ा पर अपने कर्मचारियों को भेजती हैं। अब इतनी भारी फीस देना कंपनियों और उम्मीदवारों – दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बनने वाला है।
इधर भारत सरकार और इंडस्ट्री बॉडीज ने इस अचानक आए फैसले पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इससे न केवल इंडियन टैलेंट पर असर पड़ेगा, बल्कि परिवारों में भी असुरक्षा और अनिश्चितता का माहौल बनेगा। टेक इंडस्ट्री का मानना है कि अमेरिका को चाहिए था कि इस तरह के कदम धीरे-धीरे और कंसल्टेशन के बाद उठाए जाएं, न कि अचानक।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इतनी भारी फीस से अमेरिका खुद को टैलेंट की कमी के दौर में धकेल सकता है। दुनिया भर से आने वाले स्किल्ड प्रोफेशनल्स इतनी लागत पर शायद अमेरिका को अपनी पहली पसंद न मानें। वहीं, ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि यह कदम अमेरिकी वर्कर्स को बचाने और “लोकल हायरिंग” बढ़ाने के लिए जरूरी है।
कुल मिलाकर, H-1B वीज़ा पर यह नया नियम भारतीय युवाओं और कंपनियों के लिए बड़ा झटका है। आने वाले समय में देखना होगा कि यह फैसला कितना कड़ा साबित होता है या फिर इंडस्ट्री और सरकारों के दबाव में इसमें कुछ नरमी आती है। लेकिन फिलहाल इतना जरूर कहा जा सकता है कि अमेरिका का रास्ता अब पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल और महंगा हो गया है।